बतौर विधायक

सक्रिय पत्रकारिता से राजनीति में आये सरयू राय ने पहला विधानसभा चुनाव 2005 में जमशेदपुर पश्चिमी सीट से लड़ा। उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 12695 वोटों से पराजित किया। यह सक्रिय राजनीति में उनकी पहली जीत थी।

सरयू राय ने अपना दूसरा चुनाव जमशेदपुर पश्चिमी से सन 2009 में लड़ा था। जमशेदपुर पश्चिमी में उनका कड़ा मुकाबला बन्ना गुप्ता से हुआ था। बन्ना गुप्ता को 55638 वोट मिले तो सरयू राय को 52341 वोट मिले। इस तरह सरयू राय 3297 वोटों से अपना दूसरा विधानसभा चुनाव हार गये। सरयू राय भाजपा के उम्मीदवार थे तो बन्ना गुप्ता कांग्रेस के।

तीसरी बार, 2014 में भाजपा ने एक बार फिर से सरयू राय पर भरोसा जताते हुए जमशेदपुर पश्चिमी सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया। इस बार सरयू राय ने कांग्रेस के बन्ना गुप्ता को 10517 वोटों के बड़े अंतर से पराजित कर 2009 की अपनी पराजय का बदला लिया।

चौथी बार, 2019 में जब भाजपा ने रघुवर दास के रोक-टोक के कारण सरयू राय को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उनके सामने थे झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास। सरयू राय यूं तो जमशेदपुर पश्चिमी से चुनाव लड़ते थे लेकिन उन्होंने 2019 में ऱगुवर दास से दो-दो हाथ करने की मंशा से अपनी सीट ही बदल दी और चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े। आम धारणा यही थी कि सरयू राय चुनाव हार जाएंगे क्योंकि वह सीधे मुख्यमंत्री से टक्कर ले रहे थे। लेकिन, चुनाव रघुवर दास हारे और सरयू राय ने उन्हें 15833 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया। इस विजयश्री के बाद सरयू राय को राजनीतिक हलकों में जायंट किलर की उपाधि मिली।