आहार पत्रिका मामले को लेकर दायर की गई प्राथमिकी पर सरयू राय का प्रेस वक्तव्य
09 September 2024 | जमशेदपुर
राँची के एक व्यक्ति श्री मनोज सिंह द्वारा मेरे विरूद्ध अरगोड़ा थाना में दायर की गई प्राथमिकी झूठ का पुलिन्दा है। यह अर्धसत्य पर आधारित है। इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। यह प्राथमिकी खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री बन्ना गुप्ता की शह पर दायर की गई है। इस प्राथमिकी का उपयोग खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री बन्ना गुप्ता और कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार प्रचार सामग्री के रूप में कर रहे हैं। जो बातें प्राथमिकी में कही गई हैं, वहीं बातें पूर्व मंें कई बार, कम से कम पाँच बार विभिन्न फोरमों पर कही जा चुकी है और हर बार अखबारों में छपी भी है। वास्तव में यह विचलित मस्तिष्कों की फोरम हंटिंग है। इस बारे में बिन्दुवार स्थिति स्पष्ट कर रहा हूँ, जो निम्नवत है:-
1. मार्च 2021 में जमशेदपुर भाजपा के नेता श्री अभय सिंह ने उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के कार्यालय के सामने यही आरोप मुझ पर लगाया। उनके द्वारा लगाये गये आरोप समाचारपत्रों में प्रकाशित हुए।
2. उसके बाद जमशेदपुर के भाजपा नेता श्री देवन्द्र सिंह ने नवम्बर, 2022 में यही आरोप दोहराया, जो पुनः अखबारों में छपा।
3. इसके पूर्व जमशेदपुर जिला भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल 2 जुलाई, 2021 को यही आरोप दुहराते हुए माननीय राज्यपाल महोदया को ज्ञापन सौंपा। इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व तत्कालीन जमशेदपुर भाजपा जिलाध्यक्ष, श्री गुंजन यादव ने किया। यह एक बार फिर अखबारों में छपा।
4. उसके बाद जमशेदपुर जिला भाजपा के महामंत्री श्री राकेश सिंह ने इस आरोप को दुहराया, जो 04 जुलाई, 2021 को अखबारों में छपा।
5. उसके बाद जमशेदपुर पूर्वी के टेल्को निवासी किसी जी. कुमार ने इसी आरोप को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को लिखा, जो अखबारों में छपा।
6. इसके कुछ दिनों बाद जमशेदपुर पूर्वी के गायत्री नगर, ग्वालाबस्ती के श्री विनय कुमार ने इन आरोपों को आधार बनाकर झारखण्ड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर किया। याचिका को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और कहा कि यदि प्रमाण है तो आप एसीबी थाना में प्राथमिकी दर्ज किजिए। यह खबर भी अखबार में छपा।
7. इसके बाद श्री विनय कुमार की ओर से राँची के धुर्वा थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई जो अखबारों में छपी।
8. इसके बाद इस मामले को झारखण्ड सरकार के मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने उठाया और यह खबर अखबारों में भी छपी।
9. अब इसके बाद राँची के श्री मनोज कुमार ने अरगोड़ा थाना में इन्हीं आरोपों को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज किया है, जो दो दिन पहले अखबारों में प्रमुखता से छपी है।
10. प्राथमिकी के आधार पर झारखण्ड सरकार के मंत्री श्री बन्ना गुप्ता और पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार ने कल जमशेदपुर में अलग-अलग संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर पुनः इन आरोपों को दोहराया। उनके बयान ने आज के समाचार पत्रों में सुर्खियाँ बटोरी।
स्पष्ट है कि 2021 से आज तक इस मामले को लेकर अलग-अलग लोग बयानबाजी कर अखबारों की सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। इसे फोरम हंटिंग कहा जा सकता है। स्मरणीय है कि अखबारों में खबर छपी है कि एसीबी ने मुझ पर पीई दर्ज करने का निर्देश सरकार से मांगा है। मैंने तुरंत कहा कि एसीबी पीई दर्ज करने में समय न गवांये बल्कि मुझ पर सीधा केस दर्ज करे। यह समाचार 06 नवम्बर, 2022 को अखबारों मंे छपा। इस बारे में संबंधित तथ्य निकालकर संलग्न कर रहा हूँ जो आहार पत्रिका प्रकाशन के संबंध में संचिकाओं की टिप्पणियों पर आधारित है।
विदित हो कि आहार पत्रिका के प्रकाशक एवं मुद्रक का चयन निविदा के आधार पर हुआ और इसी दर पर उसको भुगतान भी किया गया। मुद्रक को आहार पत्रिका निर्धारित संख्या में सभी जिला के जिला आपूर्ति पदाधिकारी के कार्यालय में जमा करना था, जिसे जिला आपूर्ति कार्यालय द्वारा राशन दुकानों तक पंहुचाना था। खाद्य निदेशक ने सभी जिलों से विवरण मांगा और सभी जिलों ने कहा कि उन्हें निर्धारित संख्या में आहार पत्रिका की प्रतियाँ प्राप्त हई हैं। यह विवरण संचिका में उपलब्ध है, परन्तु खाद्य आपूर्ति मंत्री को इसमें घोटाला नजर आ रहा है। वे मंत्री है, उनके पास सारे तथ्य उपलब्ध है। वे मेरे द्वारा मुहैया कराये जा रहे तथ्यों का वस्तुपरक खंडन कर दें। मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज कराकर श्री बन्ना गुप्ता इसे दुष्प्रचार का माध्यम बना रहे हैं। प्राथमिकी में दर्ज विवरण झूठ का पुलिन्दा है और इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर आधा-अधूरा प्रस्तुत किया गया है। प्राथमिकी दायर करने वाले मनोज सिंह का आचरण राँची में सर्वविदित है। इन्होंने आपराधिक कृत्य में जेल यात्राएं भी की है। इनका संबंध राँची के एक बड़े आपराधिक गिरोह से रहा है। ये फिलहाल कांगेस के लिए काम कर रहे हैं। मैंने पहले कई बार दुहराया है और आज भी दुहरा रहा हूँ कि खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री बन्ना गुप्ता संचिका के प्रासंगिक पन्नों को सार्वजनिक करें। पूर्व में जिन लोगों ने आरोप लगाया है वे किसी भी फोरम में इसे साबित नहीं कर सके है। श्री बन्ना गुप्ता ने संचिका में मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश विभागीय सचिव को दिया, जिसे सचिव ने स्वीकार नहीं किया और मामले पर कानूनी राय जानने के लिए विधि विभाग को भेज दिया। इससे खार खाकर श्री बन्ना गुप्ता ने मनोज सिंह जैसे व्यक्ति से मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज कराया और वे इस प्राथमिकी को दुष्प्रचार का साधन बना रहे है।
मेरी चुनौती है कि यदि मेरे उपर कोई आरोप सही है तो वे स्वयं सामने आकर संबंधित संचिका को सार्वजनिक करें। मेरे उपर वार करने के लिए किसी शिखंडी का इस्तेमाल नहीं करें। मैंने उनके उपर स्वास्थ्य विभाग में कई घोटालों का आरोप लगाया है। पर्याप्त सबूत देने के बावजूद मुख्यमंत्री इस पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की संचिका से सबूतों को निकालने के लिए मेरे उपर पहले ही प्राथमिकी दर्ज कराया है। वे इसका खंडन नहीं कर रहे है कि मैंने जो दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग की संचिका से निकालकर सार्वजनिक किया है, वे गलत हैं। परन्तु उनको एतराज इस बात पर है कि मैंने उसे कैसे प्राप्त किया और उन्होंने इसके लिए मेरे उपर मुकदमा दायर कर दिया। यानी स्वास्थ्य विभाग में घोटाला करना जायज है और उस घोटाला का पर्दाफाश करना नाजायज है। इसी तरह दवा खरीद घोटाला में भी मैंने पर्याप्त सबूत दिया है, मगर राज्य के मुख्यमंत्री श्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मैं श्री बन्ना गुप्ता को चुनौती देता हूँ कि मैंने जो भी आरोप उन पर लगायें हैं, उन आरोपों को वे गलत साबित करें।
आहार पत्रिका के संबंध में संबंधित संचिका में जो तथ्य है, वे निम्नवत है। श्री बन्ना गुप्ता इन्हें गलत ठहराने की हिम्मत दिखायें।
ह0/-
सरयू राय
आहार बुलेटिन मामला का संचिका आधारित संक्षिप्त विवरण
1. 12.09.2017 - विभागीय सहायक एवं प्रशाखा पदाधिकारी के स्तर से आहार बुलेटिन का
प्रकाशित करने का प्रस्ताव सृजित हुआ।
2. 22.09.2017 - विभागीय सचिव ने निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका विभागीय मंत्री के समक्ष उपस्थापित किया:-
माननीय मंत्री,
कृपया उपरोक्त अंश ‘क’ अनुमोदित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञ की सेवा एवं प्रकाशक, पीआरडी/अन्य गर्वनमेंट डिपार्टमेंट द्वारा अप्रुवड रेट पर प्राप्त की जाएगी।
3. 26.09.2017 - विभागीय मंत्री ने टिप्पणी किया कि:-
पत्रिका के विषयवस्तु का प्रारूप विभागीय सचिव स्तर से अनुमोदित कराने के उपरंात छपाई के लिए भेजी जाय। पत्रिका के प्रथम अंक का डिजाईन, पृष्ठ सज्जा एवं ले-आउट के प्रारूप को अक्तुबर, 2017 के प्रथम सप्ताह में अंतिम रूप दे दिया जाय। प्रथम माह में पत्रिका का विमोचन, 16 अक्टूबर, 2017 (विश्व खाद्य दिवस) को किया जाय। आगे के लिए इसके प्रकाशन की एक निश्चित तिथि (महीने की पहली तारीख या 16 तारीख) तय कर दी जाय। विभागीय सचिव बुलेटिन के संपादक पद पर तथा श्री आनंद कुमार कार्यकारी अवैतनिक संपादक पद पर रहें।
4. 04.10.2017 - विभागीय सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी एवं अन्य की टिप्पणी में बुलेटिन छपाई का विस्तृत ब्यौरा था, जिसमें अंकित था कि 16 अक्टूबर की तिथि काफी नजदीक है इसलिए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड के अनुमोदित दर पर झारखण्ड प्रिंटर्स प्राईवेट लि., 6-ए, गुरूनानक नगर, साकची, जमशेदपुर से बुलेटिन की छपाई एवं निःशुल्क सभी जिला मुख्यालय में पहंुचाने का ऑफर दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। इसे उसी दिन विभागीय सचिव के अनुमोदन के उपरांत विभागीय मंत्री ने भी अनुमोदित कर दिया।
5. 11.10.2017 - विभागीय सचिव ने मुद्रण के प्रस्ताव प्रारूप को अनुमोदित किया। तदुपरांत पत्रिका प्रकाशित हुई और माननीय मुख्यमंत्री ने 16 अक्टूबर को पत्रिका का विमोचन किया।
6. 13.11.2017 - सहायक ने अपनी टिप्पणी में अंकित किया कि:-
संबंधित फर्म द्वारा अभिश्रव प्रस्तुत किये जाने पश्चात संचिका संख्या-06/15 प्रचार-प्रसार (भुगतान)-02/2017-खा.आ. में इसके भुगतान की कार्रवाई प्रारम्भ की गई है। उक्त दर के संबंध में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड से यह परामर्श प्राप्त किया गया है कि यह दर सही है या नहीं। साथ ही यह भी सूचना मांगा गया कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा अनुमोदित दर के आलोक में संबंधित नामित फर्म से आगे के माह में छपाई करायी जा सकती है या नहीं (विभागीय पत्रांक-4479, दिनांक 02.11.2017, पृष्ठ- 33/प.)।
इसके संबंध में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड द्वारा पत्रांक 2969, दिनांक 10.11.2017 के माध्यम से यह सूचित किया गया कि 8 पृष्ठीय बहुरंगीय ए-4 साईज में 130 जीएसएम के आर्ट पेपर पर कुल 2.62 लाख प्रतियाँ प्रतिमाह की रूपये 10.66 प्रति पत्रिका छपाई की दर सही है। भविष्य में संबंधित नामित फर्म से आगे के माह में मुद्रण कराने के विषय पर वित्त विभाग से मंतव्य प्राप्त करने को कहा गया है।
उक्त के आलोक में योजना-सह-वित्त विभाग (वित्त प्रभाग) से यह मंतव्य प्राप्त करने पर विचार किया जा सकता है कि ‘ संदर्भित मासिक पत्रिका का मुद्रण सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड के अनुमोदित एवं पुष्टि किये गये उपरोक्त दर पर संबंधित फर्म से आगे के माह में कराया जा सकता है या नहीं ?’
7. 01.12.2017 - योजना-सह-वित्त विभाग (वित्त प्रभाग) के विशेष कार्य पदाधिकारी ने निम्नांकित टिप्पणी के साथ अनुमति दी कि प्रशासी विभाग को यथा प्रक्रिया सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा अनुमोदित दर पर कार्य कराने का परामर्श दिया जा सकता है। जिस पर सहमति देते हुए अपर मुख्य सचिव (योजना-सह-वित्त विभाग) ने संचिका खाद्य सार्वजनिक उपभोक्ता मामले विभाग को वापस कर दिया।
8. 13.12.2017 - इस बीच विभागीय सचिव का स्थानांतरण हो गया। नये विभागीय सचिव ने विभागीय मंत्री के अनुमोदनार्थ निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका प्रस्तुत किया:-
1. मासिक बुलेटिन छपवाने हेतु निविदा आमंत्रित करने का प्रस्ताव है।
2. निविदा द्वारा कार्यान्वयन होने तक छपाई का कार्य पूर्व की भांति
जारी रहे।
3. मासिक बुलेटिन का ऐडिटर-डायरेक्टर हो तथा छपाई हेतु इम्पलीमेंटेशन
डायरेक्टर से हो।
उसी दिन विभागीय मंत्री ने संचिका पर निम्नांकित टिप्पणी अंकित कियाः- कंडिका-1 एवं कंडिका-2 अनुमोदित। शेष पर आगामी अंक से क्रियान्वयन करें |
9. 22.03.2018 - सहायक स्तर से मार्च, 2018 के अंक के प्रकाशन के संबंध में बुलेटिन के मार्च 2018 का अंक के भुगतान के संबंध में वित्तीय वर्ष का अंतिम माह होने के कारण कठिनाई होगी, क्योंकि बुलेटिन प्रारूप के निदेशक स्तर से संपुष्टि में विलंब हो गया है। अतः उपरोक्त तथ्यों के आलोक में खाद्य एवं उपभोक्ता मामले निदेशालय, झारखण्ड के ज्ञापांक 360, दिनांक 22.03.2018 को रद्द करते हुए ‘आहार’ के मार्च, 2018 के अंक का मुद्रण व वितरण करने पर उच्च स्तरीय आदेश शीघ्र प्राप्त करने पर विचार किया जा सकता है।
विभागीय सचिव ने इसी दिन निम्नांकित टिप्पणी के साथ संचिका मंत्री के समक्ष उपस्थापित किया:-
प्रस्ताव अनुरूप ‘आहार’ का मार्च का वर्क ऑर्डर रद्द किया जा सकता है। उसी दिन विभागीय मंत्री ने सचिव की टिप्पणी पर यथा प्रस्तावित करते हुए निम्नांकित निर्देश दिया:-
आगे का अंक निविदा निष्पादन के उपरांत प्रकाशित किया जाय। बुलेटिन के वितरण की स्थिति के बारे में जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त किया जाय।
10. तदुपरांत निविदा प्रकाशित हुई। निविदा में शर्त रखी गयी कि जो न्यूनतम दर आयेगा, वह यदि पूर्व में निश्चित झारखंड प्रिन्टर्स के सूचना एवं जनसम्पर्क के निर्धारित दर से अधिक आयेगा तब तो कोई बात नहीं। परन्तु यदि दर झारखंड प्रिन्टर्स के 10.66 रूपये प्रति बुलेटिन से कम आयेगा तो अन्तर की राशि झारखंड प्रिन्टर्स को हुए भुगतान में से समायोजित कर ली जाएगी।
निविदा में निम्नांकित फर्मों ने भाग लिया:-
1. भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित, राँची।
2. सेतु प्रिन्टर्स, राँची।
3. झारखण्ड प्रिन्टर्स, जमशेदपुर।
4. नेशनल प्रिन्टर्स, राँची।
11. 19.04.2018 - निविदा की दर आने पर विभागीय सचिव ने टिप्पणी अंकित किया कि आईपीआरडी दर एवं निविदा दर में अन्तर है। अतः पूर्व में भुगतान की गयी अन्तर राशि की वसूली करें।
उल्लेखनीय है कि निविदा में न्यूनतम दर 10.45 रूपया प्रति बुलेटिन आया। यह दर झारखंड प्रिंटर्स का था। जो इसके पूर्व दर 10.66 रूपया प्रति बुलेटिन से 21 पैसा कम था। निविदा शर्त के अनुसार बुलेटिन के पाँच अंकों (अक्टूबर 2017-फरवरी, 2018) की छपाई में भुगतेय राशि के अंतर का समायोजन विभाग द्वारा झारखण्ड प्रिंटर्स के अभिश्रव से कर लिया गया |
Proceeding, Dated : 06-04-2018
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