नदी संरक्षण आंदोलन

सरयू राय ने कुछ समर्थकों के साथ दामोदर बचाओ आंदोलन की स्थापना की और 29 मई 2004 को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर दामोदर नदी के उद्गम स्थल से लेकर कोलकाता तक दामोदर नदी के जल में प्रदूषण की मात्रा का आकलन करने के लिए जागरूकता सह अध्ययन यात्रा शुरू की।

उसके बाद उन्होंने वर्ष 2005 में स्वर्णरेखा नदी के लिए भी ऐसा ही किया। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का एक समूह अपनी मोबाइल प्रयोगशाला के साथ यात्रा पर गया और विभिन्न बिंदुओं पर नदियों में प्रदूषण का जायजा लिया।

वर्ष 2010 में 26 अगस्त से 2 सितंबर तक उन्होंने सोन नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से पटना के पास गंगा के संगम स्थल तक जागरूकता यात्रा निकाली। इस यात्रा का उद्देश्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सिंगरौली के आसपास पर्यावरण पर मेगा ताप विद्युत संयंत्रों के प्रतिकूल प्रभाव को उजागर करना था। साथ ही बिहार के सोन कमांड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा में कमी के कारण बड़ी मात्रा में खाद्यान्न उत्पादन में कमी आई थी। उन्होंने छोटे शहरों के नदी तटों के अतिक्रमण और नदियों में अनुपचारित (नॉन ट्रीटेड) गंदे पानी के बहाव के कारण छोटी नदियों पर पड़ने वाले खतरे का आकलन करने के लिए झारखंड के अधिकांश जिलाें और कस्बों का दौरा किया है।

वह जनजागरण के साथ छोटी नदियों के स्वास्थ्य को फिर से जीवंत करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं ताकि नीति निर्माताओं और राज्य के अधिकारियों पर दबाव डाला जा सके। इस क्षेत्र में और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।