जल जागरूकता अभियान

जल जागरूकता अभियान की परिकल्पना और शुरुआत 2006 में श्री सरयू राय द्वारा गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक-राजनीतिक समूहों के संयुक्त मंच के रूप में की गई थी। अभियान हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर शुरू होता है और गंगा-दशहरा के दिन संपन्न होता है। इस दौरान जल के नमूने लिए जाते हैं और रांची के नामकोम स्थित सिदरौल में युगांतर भारती की पर्यावरण प्रयोगशाला में उनका परीक्षण किया जाता है। अभियान अवधि के दौरान, जल के महत्व और उसके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता को उजागर करने के लिए कार्यशालाएं, संगोष्ठी, जनसभाएं, वाद-विवाद, प्रतियोगिताएं आदि का आयोजन किया जाता है। इस अभियान को अब युगांतर भारती द्वारा अपनी वार्षिक गतिविधियों के रूप में अपना लिया गया है। इस कार्यक्रम में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर स्वर्णरेखा महोत्सव और गंगा दशहरा की पूर्व संध्या पर दामोदर महोत्सव का आयोजन एक दर्जन से अधिक स्थानों पर एक साथ किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं और जल की गुणवत्ता और मात्रा की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। ये कार्यक्रम जन जागरूकता के प्रभावी माध्यम साबित होते हैं और सामाजिक-धार्मिक भावनाओं को जल और जल निकायों के संरक्षण, संवर्धन, विशेष रूप से प्रदूषण रोकथाम और सुरक्षा एवं सामान्य रूप से पर्यावरण जागरूकता से जोड़ते हैं।